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होली आई रे सजन…

कोसीर ...ग्रामीण मित्र !
कोसीर ...ग्रामीण मित्र !
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होली आई रे सजन ….
होली आई रे सजन मन हुई रे मगन रंग खेलो रे गुलाल
गोरी गजब रे सजन को मले रे गुलाल गाल हुई रे लाल 
गली -गली उडी रे गुलाल मन हुई रे मगन खेलो अबीर-गुलाल 
दे दे बुलौआ राधे को नगर में 
दे दे बुलौआ राधे को …
खेले अबीर-गुलाल रे 
मन मगन होगे होली में ….
संगी -संगवारी मन झुमत हे गली खोल म घुमत हे 
रंग खेले के बहाना ढूढ़त हें मन हो के मतंग सब गुनत हें 
फागुन म रंग गुलाल सब लेके घुमत हें 
आज गोरी ल मिले के बहाना ढूढ़त हें 
रंग दुहूँ कहके गाल हाथ म पिचकारी ल खोजत हे 
होली हे …..

होली आई रे सजन …..

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